बिहार (DipakTimes):– आज ही के दिन फूलन देवी को मारा गया था – जिसे मीडिया ने बीहड़ की रानी बना दिया, लेकिन असल में वह डकैती, हत्या और जातीय विद्वेष की प्रतीक थी।
उसने सिर्फ डकैती नहीं की, बल्कि वीर राजपूतों की हत्या कर जातीय नफरत को हवा दी। बेहमई हत्याकांड इसका सबसे काला उदाहरण है, जहाँ 20 से ज़्यादा निहत्थे राजपूत युवकों को लाइन में खड़ा कर गोली मारी गई – सिर्फ बदले के नाम पर।
ग़रीबी का बदला निर्दोषों से? क्या यही नारी सशक्तिकरण है? क्या यही सामाजिक न्याय है?
आज वही गैंग संसद में भेजी गई और देवी का दर्जा दे दिया गया। लेकिन जो सच में राजपूतों के बलिदान को जानते हैं, वे फूलन को कभी महिमामंडित नहीं कर सकते।
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