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हिंदू नव वर्ष 2025: नई शुरुआत का पर्व | Dipak Media |
नई दिल्ली (DipakMedia): हिंदू नव वर्ष भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो चंद्र पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह पर्व 30 मार्च, रविवार को मनाया जाएगा। इस दिन से विक्रम संवत 2082 की शुरुआत होगी, जिसे 'कालयुक्त' नाम से जाना जाएगा।
क्षेत्रीय उत्सव और परंपराएं:
गुड़ी पड़वा: महाराष्ट्र और गोवा में इस दिन को गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है। लोग घरों में गुड़ी (ध्वज) स्थापित करते हैं और पारंपरिक व्यंजनों का आनंद लेते हैं।
उगादि: आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में इसे उगादि कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से 'उगादि पचड़ी' नामक व्यंजन तैयार किया जाता है।
चेटीचंड: सिंधी समुदाय इस दिन को चेटीचंड के रूप में मनाता है, जिसे भगवान झूलेलाल का जन्मदिन भी माना जाता है।
नवरेह: कश्मीरी पंडित इस दिन को नवरेह के रूप में मनाते हैं। यह उनके लिए एक आध्यात्मिक और पारंपरिक पर्व है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:
हिंदू नव वर्ष को सृष्टि की शुरुआत और ब्रह्मा जी द्वारा ब्रह्मांड की रचना के रूप में माना जाता है। इस दिन लोग घरों में साफ-सफाई, पूजा-अर्चना और हवन करते हैं। शुभ मुहूर्त पर नए कार्यों की शुरुआत की जाती है।
आर्थिक और सामाजिक पक्ष:
यह पर्व किसानों के लिए भी खास महत्व रखता है, क्योंकि यह रबी की फसल के तैयार होने और नई फसल के आगमन का प्रतीक है।
DipakMedia: आइए, इस नव वर्ष पर अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और नई शुरुआत का स्वागत करें।
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