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वक्फ बोर्ड | राजपूतों की धरोहर पर राजनीति का खेल? |
बिहार (जमुई):- राजनीति की मर्यादा और वक्फ बोर्ड की हकीकत
राजनीति के खेल में इतनी गिरावट कभी नहीं आनी चाहिए कि बहुसंख्यक समाज आपकी इज्जत तक करना छोड़ दे।
जो लोग वक्फ बोर्ड के पेरोकार बनने का सपना देख रहे हैं, उन्हें ये समझ लेना चाहिए कि मैं अपनी आवाज उठाकर इस गलत सोच को चुनौती दूंगा।
वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का इतिहास जानना जरूरी है। ये संपत्तियाँ, जिन्हें कुछ लोग अपनी जागीर समझ बैठे हैं, असल में राजपूत राजाओं की धरोहर हैं।
अगर भारत सरकार इन संपत्तियों को अपने अधीन ले लेती है, तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
राजपूतों ने सदियों पहले ही इस देश को मजबूत करने के लिए अपने खून-पसीने से अर्जित भूमि और जायदाद को खुशी-खुशी राष्ट्र के नाम समर्पित कर दिया था।
यही भूमि, यही जायदाद वक्फ बोर्ड की संपत्ति के रूप में जानी जाती है, जो मूल रूप से राजपूतों की ही थी।
हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने पूर्वजों के बलिदानों का सम्मान करें और किसी भी कीमत पर उनकी विरासत को सस्ती राजनीति का शिकार न बनने दें।
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